केजरीवाल और कुमार विश्वास दोस्त से दुश्मन क्यों बन गए?
कुमार ने मीडिया के सामने कहा था, तीन दोस्तों ने पार्टी बनाई थी। लगता है अब ये तीन दोस्त तीन तिगाड़े, काम बिगाड़े बन गए हैं।
कुमार ने मीडिया के सामने कहा था, तीन दोस्तों ने पार्टी बनाई थी। लगता है अब ये तीन दोस्त तीन तिगाड़े, काम बिगाड़े बन गए हैं।
अपने छोटे भाई कुमार विश्वास को मनाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया को कुमार के घर जाना पड़ा । ऐसा लगा जैसे पूरी आम आदमी पार्टी कुमार विश्वास को मनाने में जुटी है। लेकिन कुमार के करीबी गप-शप करते हुए बताते हैं कि कुमार भाई अब नहीं मानेंगे। अंदर की खबर है कि केजरीवाल फिलहाल कुमार विश्वास की हर शर्त मानने के लिए तैयार हैं। विधायक अमानतुल्लाह को पार्टी से निकालना तो छोटी बात है। लेकिन दरार दिल्ली की है जो बातों से भर नहीं सकती। कुमार ने मीडिया के सामने कहा था, तीन दोस्तों ने पार्टी बनाई थी। लगता है अब ये तीन दोस्त तीन तिगाड़े, काम बिगाड़े बन गए हैं। ना कुमार विश्वास को केजरीवाल पर भरोसा है, ना केजरीवाल को कुमार विश्वास पर। वैसे तो कुमार विश्वास मनीष सिसौदिया के बचपन के जिगरी दोस्त थे। लेकिन गप-शप ये है कि केजरीवाल ने कुमार और मनीष का ही झगड़ा करवा दिया। अगर मनीष से दोस्ती बची रहती तो कुश्ती के वक्त भी बात बन सकती थी। लेकिन केजरीवाल चुप रहे और मनीष से ही कुमार विश्वास के खिलाफ बयान दिलवाते रहे। दोनों ही कैंप ने एक दूसरे के खिलाफ इतनी खबरें लीक की और प्लांट करवाई की अब दिल से साथ होने का सवाल ही नहीं उठता। हैं, कोई मजबूरी ज़रूर हो सकती है। लेकिन फिलहाल कुमार के सामने कोई मजबूरी भी नहीं दिखती। बातें फैली हुई है कि कुमार विश्वास ना पार्टी छोड़ेंगे, ना पार्टी तोड़ेंगे। अब तो केजरीवाल को सोचना होगा कि वो कुमार विश्वास का क्या करेंगे। कुमार के करीबी बस एक रास्ता बताते हैं अगर कुमार विश्वास को पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया जाता है तभी कुमार मानेंगे। आम आदमी पार्टी में खबर उड़ी है कि राज्यसभा की तीन सीट के लिए अभी से झगड़ा शुरू हो गया है। सीटें सिर्फ तीन है और उम्मीदवार दस। संजय सिंह, आशुतोष, आशीष खेतान सब सांसद बनना चाहते हैं। कुमार विश्वास की भी कुछ ऐसी ही इच्छा है, बस वो केजरीवाल से कहलवाना चाहते हैं कि राज्यसभा का चुनाव जब अगले साल होगा तो कुमार विश्वास सांसद जरूर बनाए जाएंगे। बीजेपी के नेताओं से गप-शप करें तो वो कहते हैं कि अभी से ये 2018 के राज्यसभा चुनाव की चिंता कर रहे हैं, क्या पता तब तक दिल्ली में केजरीवाल की सरकार ही ना बचे।