क्या रजनीकांत अगले राष्ट्रपति बनेंगे?
चेन्नई में सुपरस्टार रजनीकांत आठ साल बाद अपने फैंस से मिले और अपने समर्थकों से कहा, सिस्टम सड़ गया है। अगर ज़रूरत पड़ी तो युद्ध के लिए तैयार रहो। सिस्टम को बदलना है।
चेन्नई में सुपरस्टार रजनीकांत आठ साल बाद अपने फैंस से मिले और अपने समर्थकों से कहा, सिस्टम सड़ गया है। अगर ज़रूरत पड़ी तो युद्ध के लिए तैयार रहो। सिस्टम को बदलना है।
सुपरस्टार रजनीकांत ने राजनीति में आने के सबसे बड़े संकेत दिए हैं। चेन्नई में रजनीकांत ने अपने समर्थकों से कहा, सिस्टम सड़ गया है। अगर ज़रूरत पड़ी तो युद्ध के लिए तैयार रहो। सिस्टम को बदलना है। 67 साल के रजनीकांत अपने फैंस से पिछले पांच दिन से मिल रहे हैं। इस मीट एंड ग्रीट कार्यक्रम के आखिरी दिन उन्होंने वो बातें कही जिसके कई सियासी मतलब निकाले जा रहे हैं।
इस कार्यक्रम के पहले दिन रजनीकांत ने कहा था, उनकी सियासत में आने की महात्वाकांक्षा नहीं है। लेकिन अगर भगवान ने चाहा तो वो सियासत में आएंगे। अंदर की खबर ये है कि बीजेपी के एक केंद्रीय मंत्री सुपरस्टार रजनीकांत के संपर्क में हैं। बीजेपी पिछले कुछ महीने से रजनीकांत को अपनी पार्टी में शामिल करना चाहती है। लेकिन तमिलनाडू के थलैवा (रजनीकांत इसी नाम से लोकप्रिय हैं ) फिलहाल सीधे सियासत में आना नहीं चाहते।
अब दो ही विकल्प बचे हैं। तमिल राजनीति में जयललिता के जाने के बाद एक खाली जगह है। मुख्यमंत्री पलानीस्वामी और विरोधी गुट के पन्नीरसेल्वम में अभी तक समझौता नहीं हुआ है। शशिकला फिलहाल जेल में हैं और अगले कुछ साल तक जेल में ही रहेंगी। करुणानिधि बीमार हैं और करुणा की पार्टी उनके बेटे स्टालीन चला रहे हैं। तमिल राजनीति हमेशा से एक चमत्कारी व्यक्तित्व को देवता मानकर पूजती है और उसके आगे चमत्कृत सी रहती है। इस वक्त पूरे तमिलनाडू में रजनीकांत से बड़ा हीरो कोई नहीं है। ऐसे में अगर रजनीकांत सियासत में आएंगे तो बड़ा उटलफेर हो सकता है। लेकिन समस्या एक है। तमिलनाडू में चुनाव कुछ महीने पहले ही हुए हैं। करीब 4 साल बाद अगला चुनाव है। ऐसे में रजनीकांत चार साल लंबा इंतजार करेंगे ऐसा लगता नहीं है। इसलिए तमिल राजनीति के जानकार कहते हैं कि फिलहाल रजनीकांत का मुख्यमंत्री बनने का कोई प्लान नहीं है।
ऐसे में देश में एक और बड़ा चुनाव होने वाला है जिस पर पूरे देश की नज़र है। जुलाई में देश को नया राष्ट्रपति मिलने वाला है। भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि अगर आखिरी वक्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रजनीकांत के नाम पर मुहर लगाएं तो हैरानी की बात नहीं होगी। दक्षिण में कर्नाटक छोड़कर भाजपा बाकी राज्यों में बेहद कमजोर है। ऐसे में रजनीकांत को राष्ट्रपति भवन पहुंचाकर भाजपा दक्षिण के मतदाताओं में एक बड़ा मैसेज दे सकती है। राष्ट्रीय स्व्यंसेवक संघ को भी रजनीकांत का नाम पसंद आएगा क्योंकि रजनीकांत आरएसएस के भी करीब माने जाते हैं।
रजनीकांत ने जो कहा, वो बातें अनसुनी भी नहीं की जा सकती। सुपरस्टार रजनीकांत बोले, ‘जब युद्ध होता है तो जनता अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सामने आती है। मैं भी काम करता हूं और आप भी काम करते हैं। जाइए, अपना काम कीजिए, अपने पेशे पर ध्यान दीजिए। लेकिन जब युद्ध होगा तो हम मिलकर लड़ेंगे।’ अब रजनीकांत के इन बातों का कुछ तो सियासी मतलब जरूर है। वरना सुपरस्टार रजनीकांत ने आठ साल बाद अपने फैंस से मिलने का फैसला क्यों किया और इस मिलन समारोह में सियासी बातें क्यों की? अगले फैसले का इंतज़ार कीजिए।