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वंदे मातरम् की 15 अनसुनी कहानी, पढ़ेंगे तो फिर विरोध नहीं करेंगे

2005 में वंदेमातरम के 100 साल पूरे होने पर पूरे एक साल हर स्कूल में वंदेमातरम गाए जाने का आदेश जारी हुआ।

15 facts about vande mataram आज की रिपोर्ट बड़ी ख़बरें 

2005 में वंदेमातरम के 100 साल पूरे होने पर पूरे एक साल हर स्कूल में वंदेमातरम गाए जाने का आदेश जारी हुआ।

1. वंदे मातरम् की रचना बंकिमचंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1876 को बंगाल के कांतल पाडा गांव में की थी। इस गीत के पहले दो पद संस्कृत में और बाकी बांग्ला में थे ।
2. 1870 वो वक्त था जब अंग्रेजी हुकुमत हिंदुस्तान में भी ‘गॉड सेव द क्वीन’ गाना सिखाती थी। यही अंग्रेजी गाना हर मंच पर गवाया जाता था। जो ये नहीं गा पाता उसे को़ड़े पड़ते थे।  बंकिमचंद्र चटर्जी खुद सरकारी अफसर थे, उन्हें भी ये सरकारी आदेश मानना पड़ता था, गुलामी की पहचान इस गाने के विरोध में बंकिम चंद्र चटर्जी ने एक नए गीत की रचना की और फिर धीरे धीरे भारत में ‘वंदेमातरम्’ की गूंज सुनाई देने लगी।
3.  इस गीत का प्रकाशन 1882 में बंकिमचंद्र के उपन्यास आनंद मठ में अंतर्निहित गीत के रूप में हुआ था। इस उपन्यास में यह गीत भवानंद नाम के संन्यासी द्वारा गाया गया है। इसकी धुन यदुनाथ भट्टाचार्य ने बनाई थी।
4.   साल 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत को आवाज़ दी। पहली बार 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में यह गीत गाया गया। अरबिंदो घोष ने इस गीत का अंग्रेजी में और आरिफ मोहम्मद खान ने उर्दू में अनुवाद किया।
5.     1901 में कलकत्ता में हुए एक अन्य अधिवेशन में चरनदास ने यह गीत पुनः गाया।
6.     1905 में बनारस में हुए अधिवेशन में इस गीत को सरला देवी ने गाया। बैठक में गीत को राष्ट्रगीत का दर्ज़ा प्रदान किया गया। बंग-भंग आंदोलन में ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रीय नारा बना।
7. लाला लाजपत राय ने लाहौर से जिस जर्नल का प्रकाशन शुरू किया, उसका नाम ‘वंदेमातरम’ रखा।
8. 1907 में मैडम भीकाजी कामा ने जब जर्मनी के स्टटगार्ट में तिरंगा फहराया तो उसके मध्य में ‘वंदे मातरम्’ ही लिखा हुआ था।
9. 1920 तक सुब्रह्मण्यम भारती तथा दूसरों के हाथों विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनूदित होकर यह गीत राष्ट्रगान की हैसियत पा चुका था।
10. 1923 में कांग्रेस अधिवेशन में वंदे मातरम् के विरोध में स्वर उठे। लोग इस गीत की मूर्ति-पूजा मानने लगे। उस वक्त पंडित जवाहर लाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस और आचार्य नरेंद्र देव की समिति ने 28 अक्टूबर 1937 को कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में कहा गया कि इस राष्ट्रगीत के शुरुआती दो पद ही प्रासंगिक हैं। रवींद्र नाथ टैगोर ने इसे संपादित किया और फिर इस संपादित गीत को राष्ट्रगान माना गया।
11. 14 अगस्त 1947 की रात संविधान सभा की पहली बैठक का प्रारंभ ‘वंदे मातरम’ के साथ और समापन ‘जन गण मन’ के साथ हुआ।
12. 15 अगस्त, 1947 की सुबह 6:30 बजे आकाशवाणी से पंडित ओंकारनाथ ठाकुर ने ‘वंदेमातरम’को लाइव गाया। कहा जाता है कि ओंकारनाथ ने पूरा गीत स्टूडियो में खड़े होकर गाया था। इस लाइव प्रसारण का पूरा श्रेय सरदार बल्लभ भाई पटेल को जाता है क्योंकि ये उन्हीं का आइडिया था।  पंडित ओंकारनाथ ठाकुर का यह गीत ‘दि ग्रामोफोन कंपनी ऑफ इंडिया’ के रिकॉर्ड संख्या STC 048 7102 में मौजूद है।
13. 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा ने निर्णय लिया कि स्वतंत्रता संग्राम में ‘वंदेमातरम’ गीत की उल्लेखनीय भूमिका को देखते हुए इस गीत के प्रथम दो अंतरों को ‘जन गण मन’ के समकक्ष मान्यता दी जाए। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा का यह निर्णय सुनाया।
14. 15 सितंबर 1959 को जब दूरदर्शन शुरू हुआ तो सुबह-सुबह शुरुआत ‘वंदे मातरम’ से ही होती थी। 2003 में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ने एक सर्वे किया था। दुनिया भर से लगभग 7000 गीतों को चुना गया था और वन्दे मातरम् टॉप 10 गीत में दूसरे नंबर पर था।
15. 2005 में वंदेमातरम के 100 साल पूरे होने  पर पूरे एक साल हर स्कूल में वंदेमातरम गाए जाने का आदेश जारी हुआ। लेकिन बाद में जब कुछ शहरों से इस फैसले का विरोध शुरू हुआ, इसे एक समुदाय के खिलाफ माना जाने लगा तो उस वक्त की कांग्रेस सरकार ने इस फैसले को वापस ले लिया। उस वक्त के मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने संसद में कहा कि ‘गीत गाना किसी के लिए आवश्यक नहीं किया गया है, यह स्वेच्छा पर निर्भर करता है।” तभी से वंदे मातरम पर विवाद होने लगा। जो देशभक्ति जगाने का गीत था, उस पर अब महाभारत होने लगी है।
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