गोली से पहले दुजाना की आखिरी बोली, मुबारक हो, पकड़ लिया, 8 मिनट का पूरा टेप
कश्मीर में लश्कर का कमांडर अबु दुजाना मारा गया। लेकिन मारे जाने से पहले आर्मी के मेजर ने उससे 8 मिनट तक बात की थी । उसे सरेंडर के लिए समझाया। घर में फंसे बाकी लोगों को बाहर निकाला। दुजाना की बातचीत सुनेंगे तो साफ समझ आ जाएगा आर्मी हर कोशिश कर रही है कि आतंकवादी सरेंडर करें। जब आतंकवादी सरेंडर के लिए तैयार नहीं होते। जब वो आर्मी पर गोलियां चलाते हैं तभी फोर्स पलटवार करती है।
मेजर– दुजाना…?
दुजाना– क्या हाल है…क्या हाल है…?
मेजर– हमारे हाल तो छोड़ तू…तू सरेंडर क्यों नहीं करता…
दुजाना– कहां करूंगा सरेंडर मेरे दोस्त …
मेजर– क्यों ?
दुजाना– तमन्ना शहीद होने की है…आज भी मरना है…कल भी मरना है…
मेजर– अरे ठीक है…वो जो निकले थे..तुझे पता है न …अभी क्या है..सब खराब है…ये गम है सब…
दुजाना– मैं क्या करूं…जिसको गेम खेलना है वो खेले…अपना रास्ता बदलेंगे नहीं…
मेजर– यार सुन मेरी बात…तूने लड़की से शादी की है…
दुजाना– मैंने कोई शादी नहीं की सब झूठ है…इन लोगों का प्रोपेगेंडा है…कोई शादी नहीं की..
मेजर– तू अपनी सोच न…तेरे मां-बाप हैं बाहर यार …(सरहद)पार
दुजाना– मां बाप उसी दिन मर गए…जिस दिन छोड़कर आया…
मेजर– अरे उनके लिए तू थोड़ी न मरा है …तू नहीं मरा उनके लिए…तुम सिर्फ तैयार रहो…मैं करवाऊंगा…
दुजाना– और सुनाओ क्या हाल है…?
मेजर– अब ये कौन सा टाइम है हाल पूछने का…हमारा ठीक है यार…
दुजाना– बहुत दिन बाद…बहुत सालों बाद आपने बात की… हम चोर सिपाही खेला करते थे..
मेजर– अब ये गेम खत्म ही कर दे…ऐसा कुछ नहीं है…
दुजाना– कभी आप आगे कभी हम पीछे…आप पीछे…हम आगे…आपने पकड़ लिया… मुबारक हो आपको…
मेजर– नहीं…ऐसा कुछ नहीं…तेरा अपना काम था…हम अपने फर्ज पर निकले हैं…
दुजाना– आप अपना फर्ज निभाओ…. मैं अपना फर्ज निभाऊंगा…
मेजर– छोड़ दे यार मान ले…मान ले…
दुजाना– नहीं…
मेजर– मान बात..कोई बात नहीं…कुछ नहीं होगा….देख…ये लोग भी मारे जाएंगे…इनको फोर्सेस छोड़ेंगे नहीं…इसी चीज़ में…ऐसा कुछ भी नहीं है….
दुजाना– यहां…जिसको जो करना है करे…मुझे क्या…
मेजर– देख मान ले बात यार…यहां पर कोई खूनी नहीं है …कोई नहीं चाहता किसी को मारें…किसी को खत्म करें…
दुजाना– चलो…ठीक है यार..जिसने आपको इनफॉर्मेशन दी….वो तो चाहता होगा हम मर जाएं…
मेजर– हमें कोई खबर नहीं…मैं तो हूं ही नहीं…इधर…