योगी जी, सबूत आपके सामने है, कातिलों को सजा दीजिए
9 अगस्त 2017 तक पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का 68 लाख 65 हजार 702 रुपए का बिल बकाया था । फरवरी महीने से पैसे बकाया थे और अगस्त तक कंपनी ने 9 चिट्ठियां लिख दी थी।
9 अगस्त 2017 तक पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का 68 लाख 65 हजार 702 रुपए का बिल बकाया था । फरवरी महीने से पैसे बकाया थे और अगस्त तक कंपनी ने 9 चिट्ठियां लिख दी थी।
योगी आदित्यनाथ का शहर शोक में है। दिमागी बुखार यानि इसंफ्लेटाइस नाम की बीमारी ने अस्पताल पहुंचाया और लापरवाही ने जान ले ली । योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार के मंत्री जांच की बात कह रहे हैं। मजिस्ट्रेट अस्पताल में हुई मौत की जांच करेंगे और मुख्य सचिव ऑक्सीजन ठेके की। लेकिन जांच करने को ज्यादा कुछ नहीं है। सारी बातें सामने है और गुनहगार तक पहुंचना चाहिए इससे पहले कि मामला ठंडा हो जाए। ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल आरके मिश्रा को 8 अगस्त को चिट्ठी भेजी थी। इसमें लिखा था।
प्रधानाचार्य
बीआरडी मेडिकल कॉलेज
गोरखपुर
आपके संज्ञान में लाना है कि गैस प्लांट में आगामी 2 से 3 दिन तक का स्टॉक उपलब्ध है। आपसे निवेदन है कि आप जंबो सिलेंडर का उचित मात्रा में इंतजाम कर लें। हम आपको पूर्व में भी सूचित कर चुके हैं कि INOX कंपनी जिससे हम गैस की आपूर्ति ले रहे हैं…उसने भी भुगतान न होने के कारण सप्लाई बाधित कर दी है। कृपया विषय को गंभीरता से लेते हुए लिखित रुप से हमारे कार्यालय को सूचित करें। हमारा बकाया भुगतान करना अविलम्ब सुनिश्ति करें…भुगतान न होने की स्थिति में हम भविष्य में सप्लाई करने में असमर्थ है।
ये आखिरी चिट्टी गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के साथ-साथ लखनऊ में योगी सरकार तक भेजी गई ।ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने कलेक्टर और मेडिकल कॉलेज को 1 अगस्त को भी चिट्ठी लिखी थी। इस खत में लिखा था कि करीब 68 लाख रुपये का भुगतान नहीं हुआ है । अगर पैसा नहीं मिला तो ऑक्सीज़न की सप्लाई बंद हो जाएगी।
पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी मेडिकल कॉलेज में लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई करती थी। 9 अगस्त 2017 तक कंपनी का 68 लाख 65 हजार 702 रुपए का बिल बकाया था । फरवरी महीने से पैसे बकाया थे और अगस्त तक कंपनी ने 9 चिट्ठियां लिख दी थी। 9 अगस्त को एक चिट्ठी चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण मंत्री को भी लिखा गया। लखनऊ से पैसा भिजवाया भी गया, लेकिन कंपनी के खाते में नहीं डाला गया। इस लापरवाही ने 5 दिन में 64 लोगों की जान ले ली।