केजरीवाल महोदय माफीनामे पर हस्ताक्षर आपके है और शर्मिंदगी हमें महसूस हो रही है
चीफ मिनिस्टर साहब आप शायद इन सारे नेताओं से माफ़ी मांग ले और यह सारे नेता आपको माफ़ भी कर दे लेकिन मानहानि केस ने आपकी 'आन' ,'मान' और 'शान' की कभी ना भरपाई करने वाली 'हानि 'कर दी है।
चीफ मिनिस्टर साहब आप शायद इन सारे नेताओं से माफ़ी मांग ले और यह सारे नेता आपको माफ़ भी कर दे लेकिन मानहानि केस ने आपकी 'आन' ,'मान' और 'शान' की कभी ना भरपाई करने वाली 'हानि 'कर दी है।
आदरणीय श्री अरविंद केजरीवाल जी,
नमस्कार!
महोदय आपने तीन दिन पूर्व पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांग ली। मजीठिया वहीँ शख्स है जिनके खिलाफ़ आपने पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान उनपर ड्रग्स के धंधे में शामिल होने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे।आपने अपनी हर रैली के दौरान पंजाब में आप की सरकार आने पर मजीठिया को सलाखों के पीछे भेजने तक की बात कही। आम जनता तो छोड़िये पंजाब आप के नेता भी आपके इस कदम से हैरान हो गए। आपके माफीनामे से नाराज पंजाब में आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष भगवंत मान और उपाध्यक्ष अमन अरोड़ा ने भी इस्तीफा दे दिया। आपके पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आपके माफीनामे के बावजूद मजीठिया से माफ़ी नहीं मांगी और मानहानि के मामले का सामना करने कि हिम्मत दिखाई। शायद कुमार विश्वास कि तरह उन्हें भी भविष्य में अपनी बात रखने कि कीमत चुकानी पड़े।
आप की पार्टी सिर्फ अब ‘आप’ की पार्टी रह गई है।
आपके इस माफीनामे के बाद मीडिया में और भी माफीनामा आने की ख़बर आ रही थी। लेकिन मुझ जैसे कई लोगो को लगा कि आप फिर से ऐसी गलती नहीं करेंगे जिससे आपके उपर हमारा विश्वास और ढीला हो जाए। लेकिन शायद आपकी फितरत ही दूसरों को आश्चर्यचकित करने की है। आज आपने फिर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और उनके पुत्र अमित सिब्बल से भी माफी मांग ली। मैं आज पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि आने वाले दिनों में आप कई और माफीनामे पर हस्ताक्षर करेंगे। आप शायद अपने इस कदम से शर्मिंदगी महसूस नहीं कर रहे होंगे लेकिन आप पर भरोसा करने पर आज हम खुद पर शर्मिंदा है ।
अब आप दिल्ली में नहीं 2019 के आम चुनाव के बाद दिल्ली कि गद्दी पर ध्यान केंद्रित करना चाहते है।
अपने माफीनामे पर आपको सफाई देने कि हिम्मत नहीं हुई लेकिन हर बार कि तरह इस बार भी आपके बचाव में मिस्टर सिसोदिया आगे आए। उपमुख्यमंत्री सिसोदिया को देखकर मुझे हमेशा लगता है कि बिना मंत्रालय के मुख्यमंत्री से बेहतर तो बड़े महकमे के मंत्री होना अच्छा है। सिसोदिया ने आपके माफीनामे पर दलील दी की आप दिल्ली में ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और आपके पास अदालतों का चक्कर काटने का वक्त नहीं है। इसलिए आप एक के बाद एक माफीनामे पर हस्ताक्षर कर रहे है। CM महाशय क्या आपको आरोप लगाते वक़्त इस बात का इल्म नहीं था कि आपको मानहानि के मुकदमे का सामना भी करना पड़ सकता है। या आप उस समय इसलिए निश्चिंत थे क्योंकि आपके उपर वरिष्ट वकील राम जेठमलानी का हाथ था। या अब आप दिल्ली में नहीं 2019 के आम चुनाव के बाद दिल्ली कि गद्दी पर ध्यान केंद्रित करना चाहते है।
अगर एक मुख्यमंत्री अदालत के चक्कर और न्याय ना मिलने के डर से नेताओं के आगे घुटने टेकने को मजबूर हो जाए तो यह हमारे न्यायतंत्र पर भी सवाल खड़ा करता है । जब एक मुख्यमंत्री को न्याय नहीं मिल सकता तो आम जनता को समय रहते न्याय मिलने कि उम्मीद कैसे की जा सकती है। इसका एक दूसरा पहलू भी है, आपने राजनितिक फायदों के लिए बिना प्रमाण के 20 ‘भ्रष्ट नेताओं’ की लिस्ट जारी कर दी। आप देश को यह दिखाना चाहते थे की पूरी राजनीति जगत में सिर्फ केजरीवाल ही दूध का धुला हुआ है।लेकिन आपके माफीनामे ने देश को यह बता दिया कि पूरी राजनीति जगत में केजरीवाल ही ऐसा नेता है जिसके आरोपों पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
चीफ मिनिस्टर साहब आप शायद इन सारे नेताओं से माफ़ी मांग ले और यह सारे नेता आपको माफ़ भी कर दे लेकिन मानहानि केस ने आपकी ‘आन’ ,’मान’ और ‘शान’ की कभी ना भरपाई करने वाली ‘हानि ‘कर दी है। आप की पार्टी सिर्फ अब ‘आप’ की पार्टी रह गई है।आप इस खुले पत्र के लिए मुझ पर भी मानहानि का केस दायर कर सकते है लेकिन मेरा यकिन कीजिए मैं अपने इंजीनियरिंग कि जॉब करते हुए आखिर तक न्यायालय में लडूंगा। मैं शायद अच्छे वकील की फीस नहीं देने में सक्षम होने के कारण और पैसे और बाहुबल नहीं होने के कारण मानहानि का केस हार भी जाऊं लेकिन लेकिन मैं झुकूंगा नहीं । मैं फिर से प्रयास करूँगा । मुझे अपने देश के न्यायालय पर भरोसा है ,देर ही सहीं लेकिन मुझे न्याय जरूर मिलेगा। शायद आपने भी इतनी हिम्मत दिखाई होती!