पत्थरबाजों के रिंग लीडर को जीप से बांधने वाले मेजर गोगोई की बात जानना भी जरूरी है
जैसे ही पत्थरबाजों ने देखा कि उनका रिंग लीडर आर्मी की जीप के बोनट पर बंधा है सभी पत्थरबाज शांत हो गए और मेजर गोगोई ने अपनी टीम, आईटीबीपी के जवानों, जम्मू कश्मीर पुलिस की टीम और पोलिंग स्टाफ को सुरक्षित वहां से निकाल लिया।
जैसे ही पत्थरबाजों ने देखा कि उनका रिंग लीडर आर्मी की जीप के बोनट पर बंधा है सभी पत्थरबाज शांत हो गए और मेजर गोगोई ने अपनी टीम, आईटीबीपी के जवानों, जम्मू कश्मीर पुलिस की टीम और पोलिंग स्टाफ को सुरक्षित वहां से निकाल लिया।
आर्मी चीफ के मेडल से सम्मानित होने वाले मेजर लीतल गोगोई देश के सामने आए और उन्होंने सिलेसिलेवार तरीके से बताया 9 अप्रैल को कश्मीर में क्या हुआ था। मेजर की गोगोई की बात सुनेंगे तो समझ जाएंगे आर्मी के एक देशभक्त जवान ने जान पर खेलकर कश्मीर के आम लोगों की ज़िंदगी बचाई। एक मेजर ने सूझबूझ दिखाकर आर्मी और आईटीबीपी के जवानों की जान बचाई। जीप से बंधे जिस लड़के को मीडिया के कुछ लोग एक आम कश्मीरी बता रहे थे वो पत्थरबाजों का रिंग लीडर निकला।
मेजर ने किसी बेगुनाह कश्मीरी को जीप के बोनट पर नहीं बांधा, मेजर ने पत्थरबाजी के लिए उकसा रहे रिंग लीडर को जीप के बोनट पर बांधा था। मेजर गोगोई ने बताया उनके पास गुंदीपुरा बूथ पर तैनात आईटीबीपी के जवानों के इंचार्ज का फोन आया था। आईटीबीपी के जवानों ने फोन पर बताया कि उन्हें 400-500 पत्थरबाजों ने घेर लिया है, पोलिंग स्टेशन के अंदर आईटीबीपी जवान और चुनाव कराने आए कर्मचारियों की जान खतरे में थी। मेजर गोगोई तुरंत एक्शन में आए और वो अपनी टीम के साथ पोलिंग बूथ की तरफ रवाना हुए। आगे रास्ता जाम था, सड़क पर पत्थरबाज जमा थे। किसी तरह मेजर गोगोई पोलिंग बूथ पर पहुंचे और उन्होंने आईटीबीपी के जवानों और पोलिंग स्टाफ को एंटी माइन वेहिकल में बिठाया। जब मेजर गोगोई गुंदीपुरा पोलिंग स्टेशन पर थे तभी आईटीबीपी के इंचार्ज का फिर फोन आया। इस बार उल्टीगांव पोलिंग स्टेशन को पत्थरबाजों ने घेर लिया था। पत्थरबाज पेट्रोल बम से पोलिंग बूथ को जलाने की कोशिश कर रहे थे। मेजर गोगोई अपनी टीम के साथ उल्टीगांव पोलिंग स्टेशन पहुंचे।
वहां 1200 लोग सड़क पर इकट्ठा थे। सैंकड़ों लोगों के हाथ में पत्थर था। वो पत्थर फेंक रहे थे, आर्मी की गाड़ियों पर पेट्रोल बम भी फेंका गया। भीड़ को उकसाने वाला वही शख्स था जिसका नाम फारुख अहमद दार है। मेजर गोगोई ने कई बार लाउडस्पीकर के जरिए आगे बढ़ने का रास्ता मांगा। लेकिन पत्थरबाज बढ़ते गए और पत्थर चलने तेज हो गए। आर्मी के जवान बीच में फंस गए थे। अब आर्मी के पास सिर्फ एक रास्ता बचा था वो इस भीड़ से बाहर निकलने के लिए फायरिंग करे। फायरिंग होती तो कई लोगों की जान जा सकती थी। इससे बचने के लिए मेजर गोगोई के दिमाग में एक आइडिया आया। पत्थरबाजों का रिंग लीडर फारुख दार मेजर गोगोई से करीब 30 मीटर दूर था। सेना के जवानों ने अपनी जान जोखिम में डालकर पत्थरबाजों के रिंग लीडर को पकड़ा। इसके बाद उसे मेजर गोगोई के आदेश पर जीप के बोनट पर बांधा गया। जैसे ही पत्थरबाजों ने देखा कि उनका रिंग लीडर आर्मी की जीप के बोनट पर बंधा है सभी पत्थरबाज शांत हो गए और मेजर गोगोई ने अपनी टीम, आईटीबीपी के जवानों, जम्मू कश्मीर पुलिस की टीम और पोलिंग स्टाफ को सुरक्षित वहां से निकाल लिया। बिना एक भी गोली चलाए, एक भी शख्स को घायल किए बिना सभी जवान महफूज वहां से निकले। सच कहें तो मेजर लीतल गोगोई की सूझबूझ की तारीफ करनी चाहिए, उनकी बहादुरी को सलाम करना चाहिए।