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रोहिंग्या मुसलमान अतिथि नहीं, ‘कुछ तो आतंकवादी हैं’!

दिल्ली पुलिस ने बताया की अलकायदा का संदिग्ध आतंकवादी शमीम उर रहमान वो लगातार रोहिंग्या मुसलमानों को भड़काने और उन्हें जेहादी बनाने की कोशिश कर रहा था।

Central Government told to SC that Rohingya Muslims are Threat to Country Breaking News आज की रिपोर्ट राजनीति समाचार 

दिल्ली पुलिस ने बताया की अलकायदा का संदिग्ध आतंकवादी शमीम उर रहमान वो लगातार रोहिंग्या मुसलमानों को भड़काने और उन्हें जेहादी बनाने की कोशिश कर रहा था।

रोहिंग्या मुसलमान को भारत छोड़ना होगा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में 16 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया जिसमें सरकार ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों के पाकिस्तानी आतंकियों से रिश्ते हैं।कोर्ट 3 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेगा।
असल में रोहिंग्या समुदाय के मोहम्मद सलीमुल्लाह और मोहम्मद शाकिर ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल फाइल की थी जिसमें कहा गया था कि वो लोग म्यांमार में फैली हिंसा से जान बचा कर भागे हैं, उन्हें संविधान के आर्टिकल 21 के तहत यहां जीने और रहने का अधिकार दिया जाए। मोदी सरकार ने कहा कि संविधान की धारा 21 के जरिए मिला जीने का अधिकार आर्टिकल 19 से जुडा है। धारा 19 सिर्फ भारत के नागरिकों के लिए हैं। रिफ्यूजीज़ भारत में रहने का अधिकार कोर्ट से नहीं मांग सकते।
रोहिंग्या के लिए रहम की भीख मांग रहे लोगों ने कहा कि सरकार जबरदस्ती रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकवादी बता रही है। लेकिन दिल्ली पुलिस ने सबूत के तौर पर अलकायदा के एक संदिग्ध आतंकवादी शमीम उर रहमान को पेश किया। शमीम भारत में आतंकियों की भर्ती करने आया है। वो मूल रूप से ब्रिटेन का नागरिक है, लेकिन पिछले चार साल से भारत में रह रहा था। वो लगातार रोहिंग्या मुसलमानों को भड़काने और उन्हें जेहादी बनाने की कोशिश कर रहा था। 

आख़िर कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान

रोहिंग्या समुदाय 12वीं सदी के शुरुआती दशक में म्यांमार के रखाइन इलाके में आकर बस गए थे।म्यांमार की बहुसंख्यक आबादी बौद्ध है।संयुक्त राष्ट्र इन्हें दुनिया का सबसे प्रताड़ित जातीय समूह मानता है।म्यांमार में एक अनुमान के मुताबिक़ 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं।इन मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं।म्यामांर में पीढ़ियों रहने के बाद भी लेकिन म्यांमार सरकार ने इन्हें नागरिकता नहीं दी है।

म्यांमार में कट्टरपंथी बौद्ध संगठनों और कट्टरपंथी रोहिंग्या मुसलमानों के बीच कई बार खूनी झड़प हो चुकी है।हाल में 25 अगस्त को रोहिंग्या चरमपंथियों ने म्यामांर के उत्तर रखाइन में पुलिस पोस्ट पर हमला कर 12 सुरक्षाकर्मियों को मार दिया था।इसके बाद सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों को वहां से खदेड़ने के उद्देश्य से उनके गांव जला दिए और नागरिकों पर हमले किए।रोहिंग्या और म्यांमार के सुरक्षा बल एक-दूसरे पर अत्याचार करने का आरोप लगा रहे हैं।

पिछले दो सप्ताह में करीब 2 लाख 70 हजार रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से पलायन कर चुके हैं। इनमें से 60 हजार से ज्यादा बंगलादेश में शरण ले चुके हैं जबकि कई हजार रोहिंग्या भारत में शरण लेना चाहते है।

कई सालों से भारत में रह रहे रोहिंग्या मुसलमान

भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान हैं, जो जम्मू, हैदराबाद, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में मौजूद हैं।इनमें करीब 15 हज़ार तो अकेले जम्मू-कश्मीर में हैं।चूंकि भारत ने शरणार्थियों को लेकर हुई संयुक्त राष्ट्र की 1951 शरणार्थी संधि और 1967 में लाए गए प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं इसलिए देश में कोई शरणार्थी कानून नहीं हैं।बाबजूद इसके भारत सरकार ने  1990 के दशक में रोहिंग्या मुसलमान को पनाह दिया गया था।रोहिंग्या के समर्थन में उतरे लोगों का कहना है कि 20 साल बाद रोहिंग्या भारत के लिए ख़तरा कैसे बन गए जिनके कारण सरकार उन्हें वापस उनके देश भेजने की तैयारी कर रही रही है।

एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि जब देश में तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा को पनाह दिया जा सकता है तो रोहिंग्या के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी रोहिंग्या को भारत में बसाने के समर्थन में हैं।

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